इंडिया में हर बचा एक समय क्रिकेटर बनने का सपना जरूर देखता है। उन बच्चों मे से बस कुछ ही बच्चो के सपने पूरे होते हैं। जिनके सपने पूरे होते हैं वो मुश्किलों से हारते नहीं। बल्कि उनसे लड़कर हमेशा आगे बढ़ते हे।शार्दुल ठाकुर एक बोलिंग Allrounder हे। जो अपनी टीम को मुश्किल समय मे विकेट दिलाने के लिए जाने जाते हे। न केवल बोलिंग मे बल्कि बैटिंग मे भी बड़े-बड़े छक्के लगाने के लिए जाने जाते हैं।
हाल ही के समय मे उनका प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है । और ऐसी वजह से आज इनकी चर्चा भी हो रही हे। इनको २०२१ टी-२० वर्ल्ड कप में खेलने वाली टीम में भी शामिल किया गया है। शार्दुल ठाकुर का जन्म 16 अक्टूबर 1991 को महाराष्ट्र के पास पालघर शहर के एक राजपूत परिवार में हुआ था। पिता नरेंद्र ठाकुर गाऊ मे एक किसान थे। एक इनको बचपन से ही क्रिकेट से काफी लगाव था। इसिलिए यह क्रिकेट खेलते भी बहोत ज्यादा थे। क्रिकेट मे शार्दुल की परिवार भी पूरा तरह साथ दे रहा था।
पालघर मे क्रिकेट की उतनी अच्छी सुबिधा नहीं थी। इसलिए शार्दुल के पिता बोइसर शिफ्ट हो गए। बोइसर के तारापुर विद्यामंदिर स्कूल मे शार्दुल का एडमिशन हुवा। जहा क्रिकेट की अच्छी सुबिधा था। शार्दुल ने बहुत ही जल्द क्रिकेट के बेसिक्स को सीखा। शार्दुल बोलिंग और बैटिंग दोनोसे अपनी टीम को मैच जिताते थे।
बाद मे उन्होने स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल ज्वाइन कर लिया। २००६ मे स्वामी विवेकानंद इंटरनेशनल स्कूल के क्रिकेट टीम से खेलते हुवे उन्होने ६ छक्के एक ओवर मे मारे। ऐसा करने वाले वो तीसरे क्रिकेटर बन गए। कोच दिनेश लाल जो की रोहित शर्मा के भी कोच रह गए थे। उन्होने सार्दुल को बहुत कुछ सिखाया। वो कहते हे शार्दुल एक बहुत ही टैलेंटेड खिलाड़ी हे। उसमे हमेशा सीखने की चाह रही हे। अपने स्कूल क्रिकेट मे बहुत बार टीम की जिम्मेदारी लेकर टीम को बहुत बार मैच जितवाए हे।
शार्दुल ठाकुर की मुख्य जानकारी
Kedar Jadhav Biography | |
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पूरा नाम | Shardul Narendra Thakur |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 175 |
जन्मतिथि | 16 October 1991 |
जन्मस्थान | Palghar, India |
बल्लेबाजी शैली | दाएं हाथ के बल्लेबाज |
गेंदबाजी की शैली | दाएं हाथ के ऑफ ब्रेक |
पालघर मे शार्दुल को सब पालघर एक्सप्रेस नाम से बुलाने लगे। १० के बाद शार्दुल ने मुंबई के क्रिकेट अकेडमी मे एडमिशन लेलिया। लेकिन पालघर से मुंबई ९० किलोमीटर दूर हनी की वजह से सार्दुल को सुभह ४:३० बजे की लोकल ट्रैन पकड़ के अकेडमी पहोचनी होती थी। ये उनका रोज का Schedule था। ट्रैन मे सफर करते पैसेंजर पूछते थे कहा से हो ? पिता क्या करते हे ? क्या करने जा रहे हो ? इतना दूर से आकर थोरिन कोई इंडिया के लिए खेलता हे। लेकिन शार्दुल को पता था की जब उन्होने क्रिकेट को इतना समय दिया हे तो उनको फल जरूर मिलेगा। वो उन पैसेंजर सब की बाते सुनकर डिमोटिवेट नहीं होते थे।
शार्दुल ने मेहनत करि। लोकल टूर्नामेंट मे अच्छे परफॉरमेंस के वजह से साल २०१२ मे मुंबई के रणजी ट्रॉफी टीम मे उनका सिलेक्शन हो गया। राजस्तान के खिलाफ उनका डेब्यू हुवा। इस पूरा टूर्नामेंट मे उनका अच्छा परफॉरमेंस नहीं था। ४ मैच मे सिर्फ ४ विकेट वो भी ८२ के बुरी एवरेज से। बढ़ते उम्र के साथ शार्दुल के वजन भी बढ़ा । उस वक़्त शार्दुल के वजन ८४ किलो था। शार्दुल ने अपने फिटनेस पर काम किया। और कुछ ही महीनो मे १३किलो काम कर के रणजी ट्रॉफी के अगले सीजन मे वापसी की। २०१३ के रणजी ट्रॉफी मे उन्होने २६.२५ के एवरेज से ६ मैच मे २७ विकेट लिए।
फिर २०१४ में अपने प्रदर्शन को और बेहतर किया। और २० के एवरेज के साथ १० मैच मे ४८ विकेट लिए। और यहाँ से इंडियन टीम के तरफ उनका सफर सुरु हुवा। इस कमल के प्रदर्शन के बाद २०१४ मे किंग्स ११ पंजाब ने उनको अपने टीम के लिए ख़रीदा। लेकिन उनको प्लेइंग ११ मे खेलनेका काफी काम मौके मिले। जिस वजह से वो अपना काबिलियत दुनिया को दिखा नहीं पाए। वही डोमेस्टिक क्रिकेट मे उनका जबरजस्त प्रदर्शन जारी रहा। २०१५ मे मुंबई को रणजी ट्रॉफी जितने मे सार्दुल ने अहम् भूमिका निभाई थी।
डोमेस्टिक मे अच्छा खेल के वजह से ३१ अगस्त २०१७ मे उन्हे ODI में इंडिया के लिए डेब्यू करनेका मौका मिला। इसके बाद भी उनको मौके मिलते रहे। पर वो अभी भी इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी चाप नहीं छोड़ पारहे थे। टेस्ट में इनका डेब्यू अक्टूबर २०१८ वेस्ट इंडीज के खिलाफ हुवा। पर इस मैच में चोट लगने के कारन वो सिर्फ १० बॉल ही दल सके। इसके बाद उन्हे टेस्ट टीम में वापस आने मे बहोत समय लगा।
लेकिन जब वापसी की तो शानदार वापसी थी वो। जनुअरी २०२१ मे ऑस्ट्रेलिया के स्विंग विकेट पर उन्होने इंडिया के लिए काफी खास मैच खेला। और बताया की वो बोलिंग मे नहीं बल्कि बैटिंग मे भी सछम हे। आगये २०२१ मे इंग्लैंड टूर पर भी गए। सार्दुल ने अपनी मेहनत के डैम पर अपने सपनोंको पूरा किया हे।
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