हरभजन सिंह की जीवनी Harbhajan Singh Biography In Hindi

 

हरभजन सिंह का जन्म ३ जुलाई १९८० में पंजाब के जालंधर शहर में हुवा।  बचपन से ही हरभजन ने गल्ली में क्रिकेट खेलता था।  और उनके खेल में बढ़ते इंटरेस्ट उनके पिता ने हरभजन को एक क्रिकेट  अकाडमी ज्वाइन करवा दिया।  जो  अकाडमी दूसरे सहर में  थे। और ऐसी लिए उन्हे घर से दूर रहना पड़ता था।  पहली बार  घर से दूर रहने की वजह से हरभजन दुखी महसूस करने लगे। और उनको क्रिकेट में भी मन नहीं लगता था। 

 एक दिन परेशान होकर हरभजन  ने अपना बैग उठाया और घर की और निकल गए।  वो स्टॉप पर जाकर ऑटो का इंतजार करने लगे।  कुछ ही देर में उनकी कोच में उन्हे स्टैंड पर खड़ा हुवा देख लिया।  कोच वह आये और हरभजन  को समझाया की उन्हें कुछ दिन और रुकना चाहिए।  अगर फिर भी खेलने में मन न लगे तो चले जाना।  हरभजन ने कोच को बात मन कर कुछ दिन और रुकने का सोचा।  

अगर उस दिन हरभजन  को जल्दी ऑटो मिल जाता तो इंडिया को एक बेहतरीन ऑफ स्पिनर नहीं मिल पता।  हरभजन  ने अपनी ट्रेनिंग एक बैट्समैन की तौर पर सुरु किया था।  लेकिन जब उनके कोच देबेन्द्र सिंह ने एक बार उन्हे बोलिंग करते हुवे देखा तो वो समझ गए थे की इस बच्ची की बोलिंग में कुछ अलग बात हे।  कोच देबेन्द्र ने ही हरभजन  को सुरु में बोलिंग भी करने के लिया बोला था।  

हरभजन जितनी म्हणत से अपनी ट्रेनिंग करते थे उस उम्र में बहोत काम ही खिलाड़ी ट्रेनिंग कर पाते हे।  वो हर रोज सुभह में ३ घंटे ट्रेनिंग किया करते थे।  फिर थोड़ा रेस्ट और फिर दोपहर में ३ बजे से ट्रेनिंग।  

हरभजन के हाई एआरएम एक्शन के कारन उनके बॉल बहोत ज्यादा बाउंस किया करते थे।  जिससे कटचेस की चान्सेस बहोत ज्यादा बढ़ जाती थी।  

हरभजन  ने अंडर १९ वर्ल्ड कप भी खेला। जिसके एक मैच में उन्होने ५ रन देकर ३ विकेट लिए।  डेमेस्टिक में अच्छे परफॉरमेंस के वजह से ऑस्ट्रेलिया टूर के लिए उन्हे इंडिया टीम के लिए सेलेक्ट कर लिया।  

हरभजन सिंह की  मुख्य जानकारी


Harbhajan Singh Biography
पूरा नामHarbhajan Singh
लम्बाई (लगभग)1.8 m
जन्मतिथिJuly 3, 1980
जन्मस्थानJalandhar, India
बल्लेबाजी शैलीदाएं हाथ के बल्लेबाज
गेंदबाजी की शैलीright-arm spin bowler


  वो टीम में आगये थे लेकिन उन्हे प्लेइंग ११ में नहीं रखा गया।  क्यों की अनिल कुंबले उस समय संदर बोलिंग कर रहे थे।  और किसी भी मैच में प्लेयर रेप्लस करनेका रिस्क टीम इंडिया नहीं उठा सकते थे।  

हरभजन वापस डोमेस्टिक क्रिकेट में वापस आये।  और वो जानते थे डोमेस्टिक क्रिकेट में और अच्छा खेलना हे।  यही वो समय था जब हरभान ने बॉल के साथ साथ अपने बात से भी कमल करना सुरु कर दिया।  हरभजन ने उस सीरीज में ५१ के एवरेज से बैटिंग करि।  ऐसी बिच उनके पिता की मृत्यु हो गयी।  

जिसके बाद उनके पिता के कंधो पर ज्यादा प्रेशर आ गया था।  इसकी बाद उन्होने अपने ३ बहनो की शादी भी कराई।  एक तरफ टीम में उनका सिलेक्शन नहीं हो रहा था और दूसरी तरफ घर का भी काफी ज्यादा प्रेशर आ गया था।  

परेशान हो कर हरभजन ने मन बना लिया था की वो अब क्रिकेट छोड़ देंगे। पर ईएसएस कठिन समय से उन्हे निकला सौरव  गांगुली ने।  गांगुली ने हरभान के प्रतिभा पर भरोषा करा।  और वापस उन्हे टीम इंडिया में ले कर आये।  हरभरजन को इसके बाद टेस्ट डेब्यू करने का मौका मिला।  उन्होने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला मैच खेला।  जिसमे उन्होने ऑस्ट्रेलिया के २ विकेट भी निकाली। ऐसी के कुछ समय के बाद उन्होने अपना ODI डेब्यू भी कर लिया।  उन्होने अपना पहले ODI  मैच में १ और दूसरे में ३ विकेट लिए।  

साल २००१ ऑस्ट्रेलिया इंडिया टूर पर आयी।  और उस समय वर्ल्ड चैंपियन ऑस्ट्रेलिया का सामना करना बहोत मुश्किल था। दूसरे टेस्ट में जब ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज तेजीसे रन बना रहे थे तब इंडियन कप्तान  गांगुली की हर स्ट्रेटेजी फ़ैल हो रही थी।  

पर फिर उन्होने हरभजन को बोलिंग के लिए बुलाया।  हरभजन ने इस टेस्ट में पहले इंडियन खिलाड़ी बने जिन्होने हैट्रिक ली हो।  और सबको बता दिया की टीम में एक नया शेर आ गया हे।  इसके बाद करीब हरभजन १४-१५ साल तक टीम इंडिया का एक मजबूत पिलर बन कर खड़े रहे।  फिर चाहे वो कोई इंटरनेशनल टूर हो या २०११ का वर्ल्ड कप हो।  हरभजन ने १०३ टेस्ट मैच में कुल ४१७ विकेट लिए हे। 

और ODI २३६ मैच में २६९ विकेट लिए हे।  अपने इस क्रिकेट करियर मे ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी से नोकझोक करने के वजह से २ बार बन भी हुवे हे।  उनके बन होने की  मुख्य इशू थी डिसिप्लिन इश्यूज।  हरभजन की IPL करियर की बात की जाये तो २००८ मे उन्होने मुंबई इंडियन की और से खेलना सुरु किया।  अगलेय १० सालो तक हरभजन मुंबई इंडियन का ही हिस्सा बने रहे।  जिसमे उन्होने कप्तानी भी संभाली थी ।

फिर २०१८ मे CSK  ने उन्हें अपनी टीम के लिए खरीद लिया था। हरभजन को क्रिकेट मे अच्छे योगदान को देखते हुवे २००९ मे   उन्हे पद्मा श्री सम्मान से भी समान्नित किया गया।    

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