दोस्तों भारत में क्रिकेट को एक खेल ही नहीं बल्कि एक धर्म का दर्जा दिया गया है | और इस धर्म में सचिन भगवान की तरह पूजे जाते हैं। एक समय तो ऐसा था की सचिन की Out होते ही आधा भारत TV बंद कर देता था | और क्रिकेट में सचिन को भगवान का दरजा देना शायद इसलिये भी सही है क्योंकि अगर रिकॉर्ड की बात करें तो सचिन के आसपास भी कोई नहीं भटकता | सबसे ज्यादा रन बनने का रिकॉर्ड हो या शतक मार्ने का |
एक बार तो सचिन तेंदुलकर की तारीफ में एक ऑस्ट्रेलियाई प्रशासक ने कहा की अपराध तब करो जब सचिन बल्लेबाजी कर रहा हो क्योंकि भगवान भी उस समय उनकी बल्लेबाजी देखने में व्यास होते हैं | सचिन भारत के सर्वोच नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले पहले खिलाड़ी हैं | सचिन एक अच्छे खिलाड़ी होने के साथ-साथ एक अच्छे इंसान भी हैं | वह हर साल 200 बच्चो के पालन पोषण की जिम्मेदारी के लिए एक गैर सरकारी संगठन चलाते हे |
दोस्तो आए बिना आपका समय खराब किए हम सचिन तेंदुलकर के बचपन से लेकर क्रिकेट में उनकी अदभुत सफल तक के सफर को शुरू से जनता हैं | उनके पिता का नाम रमेश तेंदुलकर था | जो एक लेखक और प्रोफेसर हे | रजनी उनकी माँ का नाम हे | सचिन तेंदुलकर अपने पिता रमेश तेंदुलकर की दुसरी पत्नी के पुत्र हैं | रमेश तेंदुलकर की पहली पत्नी से 3 सन्तान हुई अजीत नितिन और सविता जो की तीनो सचिन से बड़े हैं |
सचिन तेंदुलकर का नाम उनके पिता रमेश तेंदुलकर ने अपने प्रिय संगीतकार सचिन देव बर्मन के नाम पर रखा था | सचिन को क्रिकेट का शौक बचपन से ही है | लेकिन शुरू से ही वह बहुत ही शरारती बच्चों में गिने जाते थे | जिसकी वजह से अक्सर स्कूल की बच्चों के साथ उनका झगड़ा होता रहता था | सचिन की शरारती को कम करने के लिए उनके बड़े भाई अजीत में 1984 में क्रिकेट एकेडमी ज्वाइन कराने का सोचा और रमाकांत आचरेकर के पास लेकर गए |
रमाकांत आचरेकर उस समय के प्रसिद्ध Coach में गिने जाते थे | लेकिन सचिन पहली बार उनके सामने अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए | और आचरेकर आखिरी क्रिकेट सिखाने से मना कर दिया | लेकिन बड़े भाई अजीत के रिक्वेस्ट पर आचरेकर फिर से एक बार सचिन का मैच देखा | लेकिन इस बार वह सचिन को एक पेड़ के पीछे से छुप कर देख रहे थे | और तब सचिन ने बहुत अच्छा मैच खेला था | जिससे उन्हें पता चल गया कि सचिन केवल हमारे सामने खेलने में असहज महसूस कर रहे हैं | और फिर उन्होंने सचिन को अपने Academy में ले लिया और क्रिकेट सिखाना शुरू कर दिया | आगे चलकर आचरेकर को सचिन के बैट पकड़ने के तरीके से प्रॉब्लम थी |
उन्होंने सचिन को बैट को थोड़ा ऊपर पकड़ कर खेलने का सलाह दिया लेकिन इस बदलाव से सचिन कॉम्प्टेबल नहीं फील कर रहे थे | और इसीलिए उन्होंने आचरेकर से रिक्वेस्ट किया कि उन्हें नीचे बैट पकड़कर ही खेलने दे| दरअसल बचपन में सचिन अपने बड़े भाई के बैट से खेलते थे | और उनके छोटे छोटे हाथों से बैट को पकड़ने में बहुत दिक्कत होती थी | आचरेकर ने सचिन को श्रद्धा विद्या मंदिर में पढ़ाई के शिफ्ट होने के लिए कहा | क्योंकि वहां पर क्रिकेट की बहुत अच्छी Team थी | और उन्होंने देखा था कि सचिन को अगर एक अच्छा माहौल मिले तो वह कुछ भी कर सकते हैं |
सचिन तेंदुलकर की मुख्य जानकारी
Sachin Tendulkar Biography | |
---|---|
वास्तविक नाम | सचिन रमेश तेंदुलकर |
उपनाम | मास्टर ब्लास्टर, क्रिकेट के भगवान (God of cricket) और लिटिल मास्टर |
लम्बाई (लगभग) | से० मी०- 165 |
अंतर्राष्ट्रीय शुरुआत | वनडे (एकदिवसीय)- 18 दिसंबर 1989 को गुर्जरवाला में पाकिस्तान के खिलाफ टेस्ट- 5 नवंबर 1989 को कराची में पाकिस्तान के खिलाफ टी-20- 1 दिसंबर 2006 को जोहान्सबर्ग में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ |
जन्मतिथि | 24 अप्रैल 1973 |
पत्नी | अंजली तेंदुलकर |
तेंदुलकर ने भी अपनी Coach की केहने पर उस स्कूल में एडमिशन ले लिया | और एक प्रोफेशनल टीम के साथ क्रिकेट खेलने लगे | वहां पढ़ाई के साथ-साथ शिवाजी पार्क में सुबह शाम प्रैक्टिस करते थे | सचिन को प्रैक्टिस करते समय उनके Coach Stump पर एक सिक्का रख देते थे | और दूसरे खिलाड़ियों को कहते थे कि जो खिलाड़ी सचिन को आउट कर देगा वो सिक्का उसका। अगर कोई आउट नहीं कर सके तो वो सिक्का सचिन का। सचिन के पास आज भी उनमें से 13 सिक्के हे जिन्हें वो सबसे बड़ा इनाम मानते हैं। सचिन की मेहनत और प्रैक्टिस के दम पर उनका खेल बहुत जल्दी निखार गया |
और वह लोगों के लिए चर्चा का विषय बन गया | उन्होंने अपनी स्कूल टीम की तरफ से मैच खेलने के साथ ही साथ मुंबई के प्रमुख Club से भी खेलना शुरू कर दिया | शुरू शुरू में सचिन को बॉलिंग का बहुत शौक था | जिसकी वजह से 1887 साल वह 14 साल की उम्र में बॉलिंग सीखने के लिए मद्रास की MRF पेस फाउंडेशन गए | जहां ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज डेनिस लिली ट्रेडिंग देते थे | लेकिन उन्होंने सचिन को बैटिंग सीखने का सुझाव दिया | कि वह बैटिंग में अच्छा परफॉर्मेंस कर रहे थे | और सचिन ने भी उनकी बात मान ली और फिर अपनी बैटिंग की तरफ ज्यादा ध्यान देने लगे |
लिली जिन खिलाड़ियों को तेज ख़ेंदबाज़ बनने से मना किया उसमें सौरव गांगुली भी शामिल थे। कुछ मिहनो बाद अवार्ड मिलने वाला था जिसमें 14 साल के सचिन की बड़ी दावेदारी मानी जा रही थी। लेकिन उन्हें इनाम नहीं मिला। उनका मनोबल बढ़ाने के लिए पूर्व भारतीय बल्लेबाज सुनील गावस्कर ने उन्हें अपने प्राइड की एक जोड़ी दे दी। 20 साल बाद सचिन ने इस बात का जिक्र किया था। 14 नवंबर 1987 को तेंदुलकर को रणजी ट्रॉफी के लिए भारत की घरेलू फर्स्ट क्लास क्रिकेट टूर्नामेंट में मुंबई की तरफ से खेलने के लिए सिलेक्ट किया गया।
लेकिन वह अंतिम 11 में किसी भी मैच में नहीं खेलें | उनका इस्तेमाल केवल फील्डर के लिए किया गया था। 1 साल बाद 11 दिसंबर 1988 को सिर्फ 15 साल और 232 दिन की उम्र में तेंदुलकर ने अपने करियर की शुरुआत मुंबई की तरफ से खेलते हुए गुजरात के खिलाफ की। जिस मैच में उन्होंने नाबाद शतक बनाया और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने पहले ही मैच में शतक बनाने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बन गए। सचिन तेंदुलकर ने शतक जमाया था। और ऐसा करने वाले भारत की एकमात्र बल्लेबाज। अपनी पहली मैच में शतक जमाया था और ऐसा करने वाले भी भारत की एकमात्र बल्लेबाज है ।
सचिन की 16 साल की उम्र में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में Selection किया गया | 1989 में सिर्फ 16 साल और 205 दिनों की उम्र में कराची में पाकिस्तान के खिलाफ अपने टेस्ट कैरियर की शुरुआत की | इससे पहले भी भारतीय चयन समिति ने वेस्टइंडीज के दौरे के लिए सचिन के सिलेक्शन की इच्छा जताई थी लेकिन नहीं चाहते थे कि सचिन को इतनी जल्दी वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाजों का सामना करना पड़े |
और उन्होंने सचिन को थोड़ा और समय दे दिया था | कराची में सचिन ने इंडिया क्रिकेट टीम की तरफ से पाकिस्तान के खिलाफ पहला मैच खेलते हुए 15 रन बनाए | इसी बीच एक मैच के बिच में सचिन के नाक पर गेंद लग गयी थी। उनके नाक से खून आने लगा था। लेकिन फिर भी वो रुके नहीं और पूरा मैच खेला। उस मैच में उन्होंने ५४ रन बनाये थे। सचिन ने १९९२-९३ अपना पहला घरेलू टेस्ट मैच इंग्लैंड के खिलाफ भारत खेला। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका के टेस्ट मुकाबलों में भी सचिन का प्रदर्शन बहोत ही जबरजस्त रहा।
और उन्होंने कई टेस्ट शतक आने के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा | उन्होंने रिकॉर्ड 51 ता k test क्रिकेट में और 49 tak वेदय इंटरनेशनल क्रिकेट में बनाए हैं। एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट इतिहास में दोहरा शतक बनाने वाले वह पहले खिलाडी हैं। साथ ही साथ सचिन सबसे ज्यादा ODI इंटरनेशनल क्रिकेट मैच खेलने वाले व् खिलाड़ी हे। उन्होने कुल ४६३ ODI खेले हे।
१९९७-९८ में उन्हें राजीब गाँधी खेल रत्न से सम्मानित किया गया। १९९९ में पदम् श्री और 2008 में उन्हें पदम विभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है। 2013 में भारतीय डाक विभाग में उनके नाम का डाक टिकट जारी किया। इस सम्मान से सम्मानित होने वाले वह एकमात्र क्रिकेटर हे। 2014 में भारत की सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया। भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह पहले खिलाड़ी हे।
वनडे क्रिकेट में बल्लेबाजी के सभी रिकॉर्ड अपने नाम करने के बाद 23 दिसंबर 2012 को सचिन ने वनडे क्रिकेट से संन्यास की घोसना करदी और फिर १६ नोव २०१३ को अपने घरेलु मैच Wankhede Stadium में अपना अंतिम टेस्ट मैच खेला | ईस टेस्ट मैच को जित कर भारतीय टीम ने उन्हें भावपूर्ण बिदाई दी।
अगर सचिन की पर्सनल लाइफ की बात करें तो 1995 में उन्होंने अंजली तेंदुलकर से शादी की | उनके दो बच्चे भी हैं जिनका नाम सारा और अर्जुन हे | सचिन अपने शांत और सरल स्वभाव के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। गुस्से में आकर भी कोई टिप्पणी करने की बजाय किसी टिप्पणी का जवाब अपने बलेसे देने में विश्वास करते थे। दोस्तों सच में भगवान का दर्जा अपनी मेहनत अपनी कोशिश और अपनी लगन से हासिल की। उन्होने क्रिकेट को ईएसएस तरह खेला की वह सिर्फ खेल न रह कर एक प्रेरणा बन गया।
0 Comments